इच्छा-शक्ति महात्मा बुद्ध की कहानी: एक बार की बात है आनन्द ने भगवान बुद्ध से पूछा की – वायु, जल, पृथ्वी, आसमान और जो भी इस संसार में आदि अनन्त तत्वों में से सबसे शक्तिशाली तत्व कौन सा है |
भगवान बुद्ध ने आनंद से कहा – पत्थर सबसे ज्यादा मजबूत और कठोर भी होता है लेकिन लोहे से बना हथौड़ा पत्थर को तोड़ के चूकना-चूर कर देता है | तो कह सकते है है की पत्थर से ज्यादा शक्तिशाली और मजबूत लोहा हैं |
तभी आनंद ने बोला भगवन, लेकिन लोहार लोहे को गाला पिघलाकर कर उसे मनचाहा रूप रेखा में ढ़ाल देता है इसलिए कह सकते है की लोहा से ज्यादा शक्तिशाली आग होता है |
चाहे ‘आग’ कितना भी विशाल और विकराल रूप धारण कर ले, आसानी से ‘जल’ शांत कर देता है | तब तो लोहा, पत्थर से ज्यादा शक्तिशाली जल है |
बादल जो ‘जल’ से भरा होता है उसको वायु कही पर भी मोड़कर ले जा सकती है, तो सबसे ज्यादा शक्तिशाली ‘वायु’ है |
मगर हे आनन्द, इन सबसे भी बढ़कर एक चीज है जो इन सभी को अपने अधिकार में रखती है | मन की ‘इच्छा-शक्ति’, इच्छा शक्ति से व्यक्ति वायु को भी अलग दिशा में मोड़ सकता है |
इच्छा-शक्ति सब तत्वों में से सबसे ज्यादा शक्तिशाली ‘तत्व’ है | यदि कोई व्यक्ति अपनी इच्छा से कोई भी काम करता है तो उसमे सफलता आवश्य प्राप्त होती है |